जॉइंट फॅमिली और होली त्यौहार
जॉइंट फॅमिली में जितनी शक्ति है, जितनी एकता है,जितना आनन्द है, जितनी ख़ुशी ,अपनापन ,मस्ती ,प्यार है, वो शायद कही नहीं। आज ऐसे ही एक जॉइंट फॅमिली के बारे में हम पढ़ेंगे।
आज जॉइंट फॅमिली ऐसे ग़ुम हो रही है जैसे आसमान से तारे। आज की ज्यादातर फॅमिली 1-1 या 2-2 ही रहना पसंद करती है । कौन बीमार है कोई पूछने वाला भी नहीं है। पर जॉइंट फॅमिली में क्या जादू होता है ये में आज आप को बताऊगी।
Introduction
“Embracing Togetherness: Exploring the Heart of Family Joyjunction”:
आज मे एक अहमदाबाद की “जैन बैद” फॅमिली के बारे मे बताना चाहती हूँ ।फूलों से भरा बाग जैसे मन को लुभाने वाला, नैनो को तृप्ति देने वाला और तन में ताजगी लाने वाला होता है उसी तरह मेरा हरा.. -भरा सुखी परिवार हमारे तन-मन को प्रसन्नता, खुशी, आनंद, उल्लाहद और न जाने कितनी खुशियों का खजाना भर देता है वो पता ही नहीं चलता।
मेरी इस बगिया में एक वट वृक्ष की छाया जैसी मेरी “सासु माँ”। “माँ” शब्द ही इस परिवार की जान है । इनका वक्तित्व बड़ा ही सरल है । ये बच्चे के साथ बच्चे और बड़ो के साथ बड़े है । मेरे पुरे परिवार मै 25 लोग रहते है । और सब पर हुक्म माँ का चलता है, bade प्यार से सब मानते है । उनका आधार बने मेरे तीन जेठ-जेठानिया और मै और मेरे जीवन साथी। इस वृक्ष की और भी कई शाखाओं के रूप में फले-फूले में जेठ के बेटे और बहुएं और उनके बच्चे।
इस प्रकार ये वट वृक्ष फैला हुआ है की इसकी चार डालियों में कई पते खिले हुए है और कई फूल ।हवा के मधुर-मधुर सोकसी मेरी प्यारी तीन ननदे और उनका परिवार । उनके भी बेटे – बहुएं। फूलो से महकी क्यारियां बने मेरे सारे बच्चें जिनकी हंसी-खुशी साथ में रहना, खाना, आपस में सब भाई-बहनों का प्यार कब एक खिलखिलाता गुलदस्ता बन गया पता ही नहीं चला।
कहने को तो बड़ा परिवार एक बड़ा झमेला कहा जाता है क्योंकि आज सभी हम दो हमारे “दो वाली” कहावत के मुताबित अकेले जीना – रहना चाहते है ।मगर वो जीना क्षणभंगुर है। साथ का हाथ कब बड़ा बनके सहारा बन जाता है हमें मालूम ही नहीं पड़ता। हमलोगों का एक हरा-भरा संतुलित परिवार हमारे जीवन की हर दुख की घडी को भूला कर कब खुशहाल पल बना देती है इसका हमें जरा भी पता नहीं चलता ।
“Discovering the Magic of Family Joyjunction:
इसका एक उदाहरण है जो अभी होली का प्यारा त्योंहार जो अभी- अभी बीता है उससे पता चलता हैं की अकेले खेलने में और साथ में खेलने में क्या फर्क है । होली के अलग-अलग रंग जब सब मिलकर रंग-बिरंगी रंग- रंगिली रंगोली बन गई भीगी-2 उसी तरह हम सब का इस त्यौहार में रंग से रंगीला बनकर सबके साथ झूम-झूम कर नाच-गाकर इसको बहाले जाने वाली होली के नदी में हम सबने खूब खूब गोते लगाकर इस सरिता में डूबकियां लगाई है।
आप को अभी लेटेस्ट ही फेस्टिवल “होली”का बताती हू। ये फेस्टिवल ऐसे मानते है जैसे पहले के ज़माने मे मनाते थे। एक दूसरे को कलर लगाना फुल होली खेलना। सब साथ मे मिलकर खेलते है। यंहा तक की माँ को तो होली इतना पसद है की क्या बताऊ। नए नए व्यंजन बनाते है सब साथ मे मिल कर।आज की जनरेशन अपने हिसाब से नया खाना बनाते हे और ओल्ड जनरेशन अपने हिसाब से बनाते है। क्या कोमिनेशन होता है। अलग अलग खाना खा कर बहोत मज़ा आता हे । उसके बाद सब मिलकर डांस करते है चंग बजाते है मारवाड़ी होली के गाने गाते है। अपने घर मे समाज के लोगो को बुलाते है। बहोत मस्ती करते है।
इस बार हमने पहले सुबह 10 बजे से होली खेलना स्टार्ट किया था। हमारे पुरे समाज के साथ । वही पर सबने खाना खाया । करीबन 1 बजे तक सब के साथ होली खेला फिर हम अपने घर आये और पुरे परिवार के साथ 4 बजे तक होली खेली। हमारे घर में 2 प्यारे से बच्चे हे। एक2 साल का और एक 4 साल का। दोनों ने क्या होली खेली है। ये परिवार की यही खाश बात है की छोटे से लेकर बड़े तक सब को हर त्योहार का शोख है।
इस परिवार के हर फंक्शन के ब्लॉग को पड़ते रहिये मे कुछ न कुछ नया इस फॅमिली के फंक्शन के बारे मे डालती रहूगी ।
होली का तो बस एक बहाना था जो अभी-अभी बहा, न जाने कितने वार- त्यौहार, इसी तरह आये और चले गये बस रह गई वो मीठी-मीठी यादें जो फोटो की तरह मोबाइलों में, हमारे तन-मन में जमा-पूंजी की तरह बस गई। हंसी की फुहार जब ज्यादा बढ़ जाती है तो आंखो से आंसूओं की बूंदे गिरने लगती है वो भी हमारे तन-बदन को खुशी से सरोबोर कर जाती है, वो आंसू भी मोती बन जाते हैं, सबके साथ रह कर एक सुन्दर हार बनकर एक नया रूप निखरता है।
“Unveiling the Beauty of Family Joyjunction:
मेरा इस तरह गुल-गुलजार गुलिसता जैसा परिवार जिसमें सभी के खट्टे-मीठे, अनुभव, नोक-झोंक भरी शरारते. बड़ो में बडे बनकर रहना, छोटो के साथ बच्चे बनकर बचकानी शरारते करते जाना कब जीवन के पल बित जाते है जरा भी पता नहीं चलता। जरूरी है थोड़ी सहनसीलता, थोडी सी नाराजगी में भी हंसी, गुस्से को भी दवा देने वाली हंसी, बस यही सब सुखी परिवार बना देने वाले तरीके जो हम हर रोज हमारे भरे-पूरे परिवार के साथ बनाते हुए चलते हैं।
मैं तो यहीं कहती हूँ कि कहने को तो बहुत कुछ है जो शब्दो में बया नहीं कर सकती, लिखने बैठूं तो किताबो के पन्ने भी शायद कम पड़ जाये इस शुभहाल भरी जिंदगी के बारे में जो कहा वो भी शायद शब्दों की सीमा के दायरे में ….. बंद कर के रख दिया। इस मीठे अनुभव को देखकर शायद हर इंसान के दिल में सोया सीमित दायरा बडा बन जाये, हम-हमारे वाली कहानी भूल बन कर हम-साथ-साथ है वाली सच्ची फिल्म बन जाये यही मेरी सभी से गुजारिश है।
ये मेरा फर्स्ट ब्लॉग है शायद आप लोगो को पसद आये । आगे ऐसे ही कुछ नए फेस्टिवल को लेकर फिर आउंगी।
धन्यवाद ।
अति उत्तम, वाह क्या लिखा है आपने
Thanku Sir
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Thanku
It is alot nice and heart warming
Ek aur achha post Santosh Ji. Aapka parivaar dekh kar mujhe mere parivaar ki yaad aati hain. Bahut khoob likha hain. Mazaa to sabke saath rehne me hi hain. Dhanyawaad aapko.
Thanku Maidam itna acha aap ne socha mera blog padh kar.
Bahut Maja aaya sabke sath holi khelke . Apka blog padhke aur bhi Maja aa Gaya .
Thanku, aap ke itne ache responce ke liye
I liked the words they are amazing and heart warming..
Thanku